Terrorist Attack

समझौता ब्लास्
 हमले के पीछे लश्कर का हाथ? सियासी फायदे में खड़ा किया गयाहिंदू आंतकवाद’?


रात गहरा गई थी और ज्यादातर यात्री गहरी नींद की आगोश में जा चुके थे। इसी बीच जबरदस्त धमाके ने हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया के तमाम मुल्कों को हिला कर रख दिया। ये धमाका इतना जबरदस्त था कि सोते हुए 68 लोगों ने फिर कभी आंखें नहीं खोली। मरने वालों कई मासूम बच्चे भी थे। इस आतंकी वारदात की दुनिया भर में कड़ी आलोचना हुई थी और एक बार फिर सवाल गहरा गया था कि भारत पाकिस्तान के बीच अमन की बातचीत का विरोध करने वाले वहशी हर कोशिश से पहले क्या ऐसे ही वार करते रहेंगे?
इस पूरे मामले में तब एक नया मोड़ आया था, जब अभिनव भारत संस्था के असीमानंद को मास्टर माइंड बताया गया। असीमानंद इसका विरोध करते रहे और राजनैतिक दलों को हिंदू आतंकवाद और मुस्लिम आतंकवाद का हौव्वा बनाने का मौका मिल गया। NIA की नये सिरे से की जाने वाली जांच के ठोस आधार हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिए गए ये सबूत कोई नये नहीं हैं। ऐसे में ये सवाल गहरा गया है कि क्या उस दौर में जांच को जानबूझकर गलत दिशा दी गई और सियासी फायदे के लिए हिंदू आंतकवाद जुमले का इस्तेमाल किया गया? आपको याद होगा हाल ही में इशरत जहां मामले में भी ये खुलासा हुआ कि उस दौर में जांच को गलत दिशा देने की कोशिश की गई थी।
इस मामले की शुरूआती जांच में लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों पर ही शक की सुई गई, लेकिन बाद में NIA ने अभिनव भारत संगठन के असीमानंद के इस मामले में मास्टर माइंड होने की बात भी कही। असीमानंद इसे बेबुनियाद आरोप बताते रहे। एक बार फिर अमेरिका खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट्स के आधार पर पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों का हाथ इस आतंकी वारदात में होने की बात सामने रही है।
ब्रसल्स में हुए आतंकी हमले की ही तरह इस हमले में भी एक्सप्लोसिव्स को सूटकेस में रखा गया था। इतने ताकतवर विस्फोटकों का इस्तेमाल और इस वारदात की मॉडस ऑपरेंडी भी इस ओर इशारा कर रही है कि ये लश्कर और जैश जैसे पाकिस्तान में पलने वाले आतंकी संगठनों की ही साजिश थी।
इस नई जांच ने अब ये सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या पिछले 9 साल में हुई समझौता एक्सप्रेस धमाके की जांच गलत दिशा में जा रही थी? क्या पिछले 9 साल में समझौता एक्सप्रेस धमाके की जांच के दौरान गिरफ्तार हुए लोग धमाके में शामिल नहीं थे? क्या इस धमाके के पीछे दरअसल पाकिस्तान का ही हाथ था? जैसा कि पहले दिन से अंदेशा जताया जा रहा था। ये तमाम सवाल इस वक्त समझौता धमाके की जांच को घेरकर खड़े हैं।
समझौता धमाके में अभिनव भारत के शामिल होने के पुख्ता सबूत खोज पाने में नाकाम रहने के बाद अब NIA ने इसमें लश्कर की भूमिका पर ध्यान देना शुरू किया है। NIA के मुखिया शरद कुमार अपनी टीम के साथ 10 दिन के लिए अमेरिका गए हैं। इस दौरान वो FBI और CIA के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। NIA की टीम ट्रेजरी और जस्टिस विभाग के अफसरों से भी मिलेगी।
दरअसल, समझौता एक्सप्रेस की जांच पिछले काफी वक्त से सबूतों के अभाव में अटकी हुई थी। ऐसे में कुछ हफ्ते पहले ये तय किया गया कि लश्कर एंगल से तहकीकात को आगे बढ़ाया जाए। भारत में तमाम बड़े धमाकों के गुनहगार इस आतंकी संगठन का नाम अमेरिका ने समझौता धमाके के लिए भी लिया था। ऐसा नहीं है कि सिर्फ अमेरिका ने ही इस बात को सामने रखा हो इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में तो इस मसले को बकायदा तारीख में शामिल किया गया है।
इधर, भारत में जांच के दौरान अभिनव भारत पर शिकंजा कस रहा था, तो उधर 2009 के जून में कुछ ऐसा हुआ, जो चौंकाने वाला था। लश्कर--तैय्यबा के एक बड़े आतंकी पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पारित किया गया। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर मौजूद इस जानकारी पर ध्यान दीजिए। इसमें तारीख लिखी है 29 जून 2009 लश्कर के जिस आतंकी पर प्रतिबंध लगाया गया था और उसका नाम था आरिफ कसमानी।
अब देखिए कसमानी के बारे में संयुक्त राष्ट्र ने क्या लिखा आरिफ कसमानी लश्कर तैय्यबा का चीफ कॉर्डिनेटर है, जो लश्कर के दूसरे आतंकी संगठनों के साथ रिश्तों को बढ़ावा देता है। आरिफ कसमानी ने लश्कर तैय्यबा के साथ मिलकर कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है। इन वारदातों में एक है भारत के पानीपत के पास फरवरी 2007 में हुआ समझौता धमाका। कसमानी को दाऊद इब्राहिम से भी मदद मिलती रही है और वो लश्कर और अल कायदा के लिए पैसे भी जुटाता रहा है। पैसे मिलने के ऐवज में अल कायदा ने कसमानी को फरवरी 2007 के समझौता धमाके के लिए सपोर्ट स्टाफ मुहैया कराया था।
ध्यान दीजिए ये संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव था। जहां एक तरफ भारत में अभिनव भारत से जुड़े लोगों की गिरफ्तारियां हो रही थीं, वहीं सुरक्षा परिषद समझौता धमाके के लिए लश्कर के आतंकी आरिफ कसमानी को जिम्मेदार ठहरा रही थी। क्या सुरक्षा परिषद से उस वक्त कोई चूक हुई थी...या फिर उसके पास इस धमाके के बारे में कोई पुख्ता सबूत थे।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इस प्रस्ताव के ठीक दो दिन बाद एक जुलाई 2009 को एक और चौंकाने वाली बात हुई। अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर मौजूद इस प्रेस रिलीज को ध्यान से देखिए। एक जुलाई 2009 को जारी इस प्रेस रिलीज में वही दोहराया गया जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कहा था। यानी अमेरिका ने भी माना कि लश्कर के आतंकी आरिफ कसमानी ने समझौता एक्सप्रेस में धमाका कराया था। ऑर्डर नंबर 13224 में अमेरिका ने धमाके के लिए चार और लश्कर आतंकियों के नाम गिनाए।
ऐसा नहीं है कि ये जानकारियां नई हैं, लेकिन अब इन्हें नये सिरे से लिया जा रहा है। आतंकवाद से जूझने वाले इस देश में यदि आतंकी घटनाओं की जांच ही राजनीति से प्रेरित है, तो आतंक से लड़ने की उसकी मंशा पर प्रश्न चिन्ह तो लग ही जाता है। आतंकी घटनाओं के बाद घड़ियाली आंसू बहाने वाले कई लोगों की पोल ये मामला आने वाले दिनों में खोल सकता है।

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