JAT Reservation(Boiling Haryana)




JAT Reservation


तो खट्टर के अफसरों ने ही भड़काई थी Jat Reservation आंदोलन की
हरियाणा में Jat Reservation के नाम पर हुए उग्र आंदोलन में अब तक 19 लोगों की जाने जा चुकी हैं। एक हजार ट्रेनें प्रभावित हुईं हैं। 35 हजार करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। यानी हरियाणा के मौजूदा हालातों ने एक बार फिर प्रदेश को कई साल पीछे धकेल दिया है। लेकिन, सबसे बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा ये हुआ है कि इस आग को भड़काने में सरकारी मुलाजिमों का ही बहुत बड़ा हाथ रहा है। जिसकी जांच के आदेश मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दे दिए हैं।




दरअसल 14 फरवरी से शुरु हुआ ये आंदोलन पहले शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था। लेकिन, 18 फरवरी के बाद इस Jat Reservation आंदोलन ने उग्र रुप लेना शुरु कर दिया। शुरुआती चार दिनों की ढील ऐसी रही जिसका खामियाजा आज पूरा प्रदेश भुगत रहा है। रोहतक, झज्‍जर, हांसी, सोनीपत, जींद, भिवानी, कैथल सबसे ज्‍यादा हिंसा प्रभावित जिले रहे। प्रदेश स्‍तर पर खुफिया जानकारी के मुताबिक इन जिलों में तैनात कई अफसरों की भूमिका आंदोलन को लेकर बेहद संदिग्‍ध रही है। जिसमें पुलिस और प्रशासनिक स्‍तर के अधिकारी शामिल हैं। सरकार ने ऐसी संदिग्‍ध भूमिका वाले अफसरों के काम काज का मूल्‍यांकन शुरु कर दिया है।
उग्र Jat Reservation आंदोलन के दौरान जिन अफसरों की भूमिका संदिग्‍ध नजर आई है। उसमें ऐसा नहीं है कि वो सिर्फ जाट समुदाय से ही ताल्‍लुक रखते हैं। बल्कि गैर जाट कर्मचारी और अफसर भी जांच के दायरे में हैं। रोहतक में दो दिन पहले ये हालत थी कि पुलिस कंट्रोल रुम से किसी को भी मदद नहीं मिल पा रही थी। थानों में डाल दिया गया था। कई जगहों पर लोगों का आरोप है कि पुलिस ने दंगे में फंसे लोगों की मदद करने से ही इनकार कर दिया था।
शायद यही सबसे बड़ी वजह रही है इतनी बड़ी हिंसा के बाद भी किसी भी सरकारी मुलाजिम के जख्‍मी होने की कोई खबर नहीं है। जबकि पूरे प्रदेश में 19 लोगों की मौत हो गई। दो सौ लोग जख्‍मी हो गए। रोडवेज की 33 बसों को फूंक दिया गया। 100 बसों को पूरी तरह बरबाद कर दिया गया। 26 पेट्रोल पंपों को नुकसानों पहुंचाया। पूरी की पूरी मार्केट में लूटपाट कर उसे आग के हवाले कर दिया। और पुलिस कहीं नजर नहीं आई।
चंडीगढ़ में मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तक भी ये खबर पहुंची कि पूरे प्रदेश में जो हिंसा भड़की में उसमें कई अफसरों ने अपनी ड्यूटी पूरी जिम्‍मेदारी के साथ नहीं निभाई। उसमें जिला प्रशासन के अधिकारी और पुलिस के अधिकारी शामिल थे। इस शिकायत के बाद कैबिनेट की मीटिंग में फैसला लिया गया Jat Reservation आंदोलन के दौरान कार्य में चूक के लिए सिविल और पुलिस प्रशासन के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका का मूल्यांकन किया जाएगा। शायद पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की इसी लापरवाही और ढील के चलते ही आर्मी को भी हालात पर काबू पाने में काफी मशक्‍कत करनी पड़ रही है।
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